दिवाली पूजा कथा PDF: Diwali Pauranik Kahani in Hindi PDF

Pauranik Diwali Puja Katha in Hindi PDF |दीपावली महालक्ष्मी पौराणिक कथा PDF Download : दिवाली पूजा की प्रचलित कथा व मान्यता अलग -अलग प्रकार की हैं। जिसमें से हम आपको कुछ खास पौराणिक कहानियों के बारे में जानकरी उपलब्ध करायें। इस दीपावली के दिन उपवास रखने के पीछे क्या मान्यताएं हैं। उपवास में श्री गणेश जी, लक्ष्मी देवी, महाकाली, भगवान कुबेर की पूजा अर्चना की जाती है। जो भारतीय पंचांग के अनुसार की जाती है। Diwali Laxmi Puja Vrat Katha in Hindi PDF Download करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Diwali Puja Katha in Hindi PDF

लेख Diwali Laxmi Puja Katha PDF
प्रचलित कहानी महालक्ष्मी की पौराणिक कहानी
पूजा श्री गणेश जी, माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर महाराज
भाषा हिंदी
दिन कार्तिक मास अमावस्या (प्रदोष काल)
 Diwali Laxmi Pujan Pauranik Vrat Katha in Hindi PDF Download

दिवाली लक्ष्मी पूजा की पौराणिक कथा in Hindi PDF

एक बार की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाया करती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाया करती थी उस पर पर मां लक्ष्मी निवास करती थी। एक दिन मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से कहा मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूं। यह सुनकर साहूकार की बेटी ने कहा मैं अपने पिता से पूछकर आपको बताऊंगी।

बाद में साहूकार की बेटी अपने पिता के पास गई और अपने पिता से सारी बात कह डाली। दूसरे दिन साहूकार की बेटी है मां लक्ष्मी से दोस्ती करने के लिए हां कर दी। दोनों अच्छे मित्र भी बन गए। दोनों एक दूसरे के साथ खूब बातचीत करने लगे। एक दिन मां लक्ष्मी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई। मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी का खूब स्वागत किया। उन्होंने उसे अनेकों तरह का भोजन खिलाया।

जब साहूकार की बेटी मां लक्ष्मी के घर से वापस लौटी तो, मां लक्ष्मी ने उससे एक प्रश्न पूछा कि अब तुम मुझे कब अपने घर ले जाओगी। यह सुनकर साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी को अपने घर आने को तो कह दिया लेकिन अपने घर की आर्थिक स्थिति को देखकर वह उदास हो गई। उसे डर लगने लगा कि क्या वह अपने दोस्त का अच्छे से स्वागत कर पाएगी। यह सोचकर वह मन ही मन दुखी हो गई। सहूकार अपनी बेटी के उदास चेहरे को देखकर समझ गया। तब उसने अपनी बेटी को समझाया कि तुम फौरन मिट्टी से चौका बनाकर साफ सफाई करो। चार बत्ती के मुख वाला दिया जलाकर मां लक्ष्मी का नाम लेकर वहां उनका स्मरण करों।

पिता की यह बात सुनकर उसने वैसा ही किया। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उड़ रहा था। अचानक वह हार सहूकार की बेटी के सामने गिर गया। तब साहूकार की बेटी ने जल्दी से वह हार बेचकर भोजन की तैयारी की। थोड़ी देर बाद भगवान श्री गणेश के साथ मां लक्ष्मी साहूकार की बेटी के घर आई। साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की। उसकी सेवा को देखकर मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने उसकी सारी पीड़ा को दूर कर दिया। इस तरह से साहूकार और उसकी बेटी अमीरों की तरह जीवन व्यतीत करने लगी।

Diwali Puja Katha In Hindi Download

दिवाली को लेकर प्रचलित हैं ये पौराणिक कथाएं

  • हिन्दू शास्त्र के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करने आती है। लोग मुख्य द्वार पर तरह-तरह की रंगोली बनाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। भारत में यह त्योहार हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस साल दीपावली 4 नवंबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। यहां जानें दीपावली हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को ही क्यों मनाई जाती है।
  • एक अन्य कथा के अनुसार, एक नरकासुर नाम का राक्षस था। राक्षस ने अपनी असुर शक्तियों से देवता और जनमानस को परेशान कर रखा था। इतना ही नहीं, इस राक्षस ने साधु-संतों की 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। नरकासुर के बढ़ते अत्याचारों से परेशान देवता और साधु-संतों ने भगवान श्री कृष्ण से मदद मांगी थी। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवता और संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इसके साथ ही उन्होंने 16 हजार स्त्रियों को कैद से मुक्त कराया। कहते हैं कि इसी खुशी में दूसरे दिन यानि कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने घरों को दीये से सजाया। तभी से नरक चतुर्दशी और दीपावली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
  • कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान श्री राम वनवास काटकर और रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। भगवान राम के अयोध्या आगमन पर लोगों ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था। तभी से दिवाली मनाई जाती है।
  • दिवाली को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इंद्र ने स्वर्ग को सुरक्षित पाकर खुशी से दीपावली मनाई थी।
  • एक अन्य कथा के अनुसार, दिवाली के दिन समुंद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं और उन्होंने भगवान विष्णु को पति के रूप में स्वीकार किया था। तभी से दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
Tags related to this article

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top