Divorce Application Form PDF | Talaqnama Format in Hindi PDF

hindu divorce application form pdf | Talaq Format In India PDF | तलाक के लिए आवेदन पत्र Download |भारत में विवाह को बहुत बड़ा महत्व दिया जाता था। जिससे पहले साथ जन्मों का बंधन माना जाता था। लेकिन पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से अब कई लोग इस कॉन्ट्रेक्ट मानते हैं। समाज पहले से अब तक काफी ज्यादा बदलवा हुआ है। जिसके कारण समाज में आये दिन हम एक नये तलाक केस (Divorce Petition) के बारे में सुन लेते हैं।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से दोनों पक्षों की अपनी रजा मंदी से तलाक (Talaqnama format) के लिए जिन पेपरों या आवेदन(याजिका) फॉर्म की आवश्यकता होते है। उन्हें पीडीएफ फाइल के रूप में डाउनलोड करने का लिंक प्रदान करेंगे। तलाक के लिए किस प्रकार से आवेदन करें। या भारत में कितने प्रकार से तलाक होते हैं। इस सभी प्रकार की जानकारियों को पढ़ने के लिए हमारे लेख के साथ बने रहें। साथ ही आपक हिन्दू तलाक, मुश्लिम तलाक व अन्य धर्मों में तलाक के बारे में जानकारी प्रदान करंगे।

Contents

Divorce Application Form Download

लेख => तलाक के लिए आवेदन पत्र PDF
भाषा => हिंदी इंग्लिश
संबंधित =>  विवाहित दम्पति
आवेदन प्रक्रिया => ऑफलाइन
याचिका दायर => तहसील या कोर्ट
Talaq paper pdf download => Divorce Form PDF

Talaqnama format in hindi pdf

पति-पत्नी का यह रिश्ता भी प्राचीन काल से अटूट माना जाता रहा है, लेकिन कभी-कभी इस पवित्र रिश्ते में दरारें आ जाती हैं, और कुछ ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं, कि दोनों लोग किसी भी तरह से एक जैसे होते हैं। दूसरों के साथ नहीं रहना चाहता। जिसके लिए उनका तलाक हो सकता है। तलाक के बिना एक विवाहित पुरुष अपनी दूसरी शादी नहीं कर सकता। तो आज हम आपको यहां तलाक आवेदन पत्र के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

Talaq Documents Paper Divorce

  •  विवाह का विवाह प्रमाण पत्र।
  • शादी की तस्वीर या कोई अन्य सबूत।
  • पहचान प्रमाण पत्र। (आधार कार्ड, पैन कार्ड DL, पासपोर्ट आदि)
  • पासपोर्ट साइज फोटो।
  • कोई अन्य दस्तावेज जो आप संलग्न करना चाहते हैं।

Types of divorce in India

  •  हमारे देश में तलाक लेने की दो प्रक्रियाएं हैं, पहला आपसी सहमति से और दूसरा किसी एक पक्ष द्वारा अदालत में आवेदन करके यानी एकतरफा तलाक। आपसी सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है क्योंकि इसमें दोनों पक्षों की सहमति होती है और इस प्रक्रिया में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने जैसी कोई बात नहीं होती है।
  • जबकि दूसरी प्रक्रिया काफी जटिल है, क्योंकि यह तलाक किसी एक पक्ष द्वारा मांगा जाता है यानी एक पक्ष तलाक लेना चाहता है, और एक पक्ष तलाक नहीं चाहता है। ऐसे में तलाक लेने के लिए कुछ ऐसे सबूत कोर्ट के सामने पेश करने पड़ते हैं, जो साबित करते हैं कि ऐसी स्थितियों में तलाक लेना ही बेहतर होता है। अदालत द्वारा तलाक के मामले में, सुनवाई के दौरान बच्चों के भरण-पोषण और देखभाल की जिम्मेदारी माता-पिता में से एक को दी जाती है, जो अदालत द्वारा निर्धारित की जाती है।

तलाक के लिए आवेदन प्रक्रिया (mutual divorce petition format pdf)

  • आपसी सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया काफी सरल है। आपसी सहमति का मतलब है कि दोनों पक्ष एक दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते। आपसी सहमति से तलाक के लिए नियमानुसार दोनों पक्षों को एक साल तक अलग-अलग रहना पड़ता है, उसके बाद ही मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। इसके साथ ही कुछ अन्य प्रक्रियाओं का पालन करना होता है, जो इस प्रकार हैं-
  • इस प्रक्रिया के तहत दोनों पक्षों को पहले कोर्ट में याचिका दायर करनी होती है, जिसमें साफ लिखा होता है कि हम दोनों आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं.
  • जिसके लिए आवेदक को आवेदन पत्र की आवश्यकता होगी। कोर्ट से ही आपको फॉर्म मिल जाएगा।
  • या आप नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से भी आवेदन पत्र डाउनलोड कर सकते हैं।
  • इसके बाद दोनों पक्षों के बयान कोर्ट में दर्ज होते हैं, इसके अलावा कुछ दस्तावेजों पर दस्तखत भी होते हैं.
  • तलाक के लिए याचिका दायर करने के बाद दोनों पक्षों को कोर्ट द्वारा 6 महीने का समय दिया जाता है, ताकि इस दौरान आप दोनों साथ रहने का फैसला कर सकें।
  • जब अदालत द्वारा दिया गया समय समाप्त हो जाता है, तो दोनों पक्षों को सूचित किया जाता है और यह अंतिम सुनवाई है। इस दौरान भी अगर दोनों पक्ष तलाक चाहते हैं तो अंतिम फैसला कोर्ट ही देता है।

mutual divorce petition format pdf download

मुस्लिम समुदाय में तलाक के प्रकार

एक समय में, एक मुस्लिम महिला को केवल दो आधारों पर अदालत में तलाक लेने का अधिकार था। (1) पति की नपुंसकता (2) पुरुष सेक्स का झूठा आरोप । इस पर मुस्लिम महिलाओं से जुड़ी कई विसंगतियां मुस्लिम शादियों में जन्म लेने लगीं। ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं जिनमें एक मुस्लिम महिला तलाक मांग सकती थी लेकिन मजबूरी में तलाक लेने में असमर्थ थी। मुस्लिम महिला को हनफी कानून में अपनी शादी को रद्द करने का अधिकार नहीं था, जिसके आधार पर मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 को इस्लामिक शरिया के दायरे में पारित किया गया था, जो कि सभी मुसलमानों पर लागू किया गया है, चाहे वे किसी भी स्कूल के हों। इस अधिनियम की धारा 2 के तहत, कोई भी मुस्लिम महिला अदालत में जा सकती है और अपनी शादी को निम्नलिखित आधारों पर भंग करवा सकती है।

  • पति की अनुपस्थिति
  • पत्नी का भरण-पोषण न कर पाना
  • पति की कैद
  • दाम्पत्य दायित्वों को निभाने में विफलता
  • पति की नपुंसकता
  • पति का पागलपन
  • पत्नी द्वारा शादी से इंकार
  • पति की क्रूरता

Divorce Application Form PDF (तालक नामा पेपर) डाउनलोड से जुडी अन्य जानकारी के लिए हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के लिख सकते हैं। आज समाज में तलाक होने के कारणों के बारे में आप हमें अपनी राय भी लिख सकते हैं।

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